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त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी - राम भजन

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । यहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

त्रिपुरासुरेण सह युद्धं प्रारब्धम् ।

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना।।

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

get more info नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

सङ्कट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

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